Description
जीवन एक यात्रा अंत विहीन. जन्म जन्मान्तर तक चलने वाली यात्रा. अनेकों पड़ाव, राह घुमावदार, सुन्दरता व आकर्षण से परिपूर्ण. विरह रूपी कंकरीले पथों के दिए घाव. प्रेम व आकर्षण का मरहम.
सफ़र की थकान पड़ाव में ही मंज़िल का आभास देती है. जीवन-यात्रा में मंजिल एक ‘मृग मरीचिका’ है. इस तथ्य की जानकारी व्यक्तित्व को सम्पूर्णता प्रदान करती है. मनुष्य को आगे और फिर और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. आशा की किरण धुंधले परिदृश्य को रोशन करती है. दिल में उत्साह, उमंग एवं नई ऊर्जा का संचार करती है. जीवन के किसी भी पड़ाव का आकर्षण क्षण भंगुर सिद्ध हो जाता है.
बहुत खूबसूरत है तू ऐ ज़िंदगी !
करता हूँ मोहब्बत तुझसे
बेहद – बेइन्तहां,
तेरा ही हो कर रह जाऊं
ज़रूरी तो नहीं.
मुझे चलना है.
इन,
ख़ूबसूरत फ़िज़ाओं से निकलकर…आगे…सफ़र…के लिए.
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‘सफ़र’ अपने समय का दस्तावेज़ प्रतीत होता है. उपन्यास की शैली सरल, सुबोध और प्रांजल है.
शहर और गांव दोनों के बीच लेखक एक पगडंडी की तरह उपलब्ध है. दिल्ली की सर्दी, गज़क, रेवड़ी या घी में डूबे मूंग दाल के हलवे का जिक्र हो, अथवा गांव की खेती, रहन-सहन, पहनावा आदि – वर्णन इतना सजीव और स्वाभाविक है कि पाठक इसमें रम जाता है.
यह उपन्यास परिस्थिति सापेक्ष अनुकूलन भी है और रचनाकार के विचारों का कोलाज भी. प्रसंग सामान्य से प्रतीत होते हैं, किंतु इनका फलक व्यापक है. लेखक समाज की विसंगतियों, भारी-भरकम प्रश्नों, अकादमिक समस्याओं और अंतरराष्ट्रीय चिंताओं का लेखा-जोखा नहीं करता, किंतु छोटे-छोटे प्रसंगों के माध्यम से विशिष्ट रचना-सृष्टि की गई है.
हार्दिक शुभकामनाएँ !
डॉ. राजेन्द्र श्रीवास्तव
सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा)
बैंक ऑफ महाराष्ट्र पुणे.
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लेखक ने अपने वर्तमान से पीछे झांकने की कोशिश की है. मानवीय संबंधों के आसपास घूमती कहानी आज के महानगरीय समाज की सोच को भी रेखांकित करती है. बड़ी बारीकी से प्रेम के कई अदृश्य कोनों में झांकने का प्रयास किया है. सफ़र इसी का नाम है और सफ़र का जारी रहना ही हमारे ज़िंदा होने का सबूत है. शुभकामनाएं !
शम्भु पी सिंह
पूर्व निदेशक दूरदर्शन बिहार एवं
वरिष्ठ साहित्यकार.
पटना
27 जून 2020
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कथ्य, कथानक, भाषा, संवाद-शैली, पात्रों के चयन एवं अपने उद्देश्य को पाठकों को तक पहुंचाने में यह उपन्यास सफल सिद्ध होगा. यथार्थ के बुनियाद पर रचे गए इस उपन्यास में कल्पना के अनेक सुंदर व सटीक प्रयोग ने इसे पठनीय व रोचक बना दिया है. युवा पीढ़ी को इस उपन्यास को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए. शुभकामनाएँ !
डॉ सुशांत कुमार
प्राध्यापक
बिहार विश्वविद्यालय, मुज़फ़्फ़रपुर
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लेखक ने जीवन की निकटता अनुभव की है. एक अनवरत यात्रा से संपूर्ण जागृति से गुज़रा है. कुछ निष्कर्ष पाये हैं, कुछ समय पर छोड़ दिया है. सीखने की लगातार कोशिशों में कथा-नायक हार और जीत का सामना तो करता है किंतु टूटता नहीं.. समझौता नहीं करता.. अपने जीवन मूल्यों के साथ अडिग खड़ा रहता है.
लेखक की लेखनी में उसके जीवन मूल्य सुरक्षित रहते हैं.. लेखक के पात्र उनके सपने पूरे करते हैं.
अनेकों संवाद उपन्यास की श्रेष्ठता के प्रति आश्वस्त करते हैं. लेखकीय मूल्य पर ध्यान केंद्रित होता है.
उपन्यास के पात्र स्वाभाविक और कथा की गतिमयता में सहायक हैं. ‘सफ़र’ जारी रहने की निरंतरता ही इस उपन्यास का हृदय है, आशावादिता का परिचायक है. लेखक ने अपनी शेर ओ’ शायरी से भी अपने इस उपन्यास को सँवारा है. यह मौलिकता इस उपन्यास को भीड़ से अलग करेगी ऐसा मैं समझती हूँ.
प्रो. मंगला रानी, डी-लिट्
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय,
पटना.
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कहानी वार्तालाप शैली में धाराप्रवाह चलती है. यही बात इस उपन्यास को भीड़ से अलग करती है. लेखक ने चरित्र को नैतिकता के पलड़े पर न तोलकर सिर्फ उसे एक मानवीय पहलू से देखा.
यहाँ किसी प्रकार का आदर्श या किसी प्रकार का बौद्धिक बोझ नहीं है. पात्रों की सामान्य गति में निहित सूक्ष्म संकेतों की खोज करके उन्हें बड़े कौशल से प्रस्तुत किया है.
घटनाओं का चित्रण बहुत ईमानदारी के साथ किया गया है. कथानक के पात्रों के चरित्रों की मानवीय प्रतिक्रिया को गहरी सोच के साथ चित्रित किया गया है.
शुभकामनाएं !
सुश्री सिया सचदेव
वरिष्ठ कवियत्री,
बरेली, उत्तर प्रदेश
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‘सफर’ दृश्यों में समाहित एक अंतहीन यात्रा है.
उपन्यास में काल, समय और घटनाओं का अद्भुत समन्वय स्थापित किया गया है.
अनेक रूमानी दृश्य देखने को मिलते हैं.
पुनर्जन्म के दर्शन को सुंदरता से दर्शाया गया है.
उपन्यास में पाठक को आदि से अंत तक बांधे रखने की क्षमता है. निश्चय ही पाठक इस उपन्यास का एक रूमानी उपन्यास के रूप में स्वागत करेंगे.
शुभकामनाएँ!
डॉ इन्द्र कुमार शर्मा
हिंदी सलाहकार
दिल्ली विकास प्राधिकरण
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